जम्मू। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे के बीच केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में उन लोगों को खोजना एक बड़ी चुनौती है जो महामारी से प्रभावित देशों से लौटे हैं और ट्रैवल हिस्ट्री बताने के बजाय घरों में बैठे हैं। ऐसे लोगों का पता लगाने के लिए अब आतंकियों को खोजने वाली तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। खुफिया एजेंसियां और पुलिस मिलकर यह काम कर रही हैं। इसके अच्छे परिणाम भी मिले हैं।
पिछले कुछ दिनों में ही ऐसे एक हजार लोगों को खोज निकाला गया है जो ट्रैवल हिस्ट्री छिपाए बैठे थे। ये अब प्रशासन की निगरानी में हैं। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को खत्म करने की महारत का इस्तेमाल अब ट्रैवल हिस्ट्री छिपाने वाले कोरोना वायरस के संदिग्धों को ढूंढने में किया जा रहा है।
खुफिया एजेंसियां और पुलिस के जो जवान हमेशा ही आतंकवाद से निपटने के लिए तत्पर रहते थे, वे अब लॉकडाउन के बीच कश्मीर में ऐसे लोगों का पता लगा रहे हैं जो कोरोना प्रभावित देशों से आए हैं और ट्रैवल हिस्ट्री छिपाकर घरों में बैठे हैं। सूत्र बताते हैं कि केंद्र को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 मार्च से 31 मार्च के बीच जांच में पता लगाया गया है कि करीब एक हजार लोगों ने जम्मू कश्मीर के बाहर या विदेश की यात्रा की है और उनकी पहचान की जा रही है।
फील्ड यूनिट को सक्रिय कियाइस समय जम्मू कश्मीर में 28 हजार के करीब लोगों को निगरानी में रखा गया है। ऐसे प्रयासों से कोरोना वायरस के मरीजों को खोज निकाला गया है। इस तरह की नई चुनौती से निपटने के लिए फील्ड यूनिट को सक्रिय किया गया है। मार्च के शुरू में ही पता चला था कि कुछ लोग धार्मिक यात्राओं पर गए थे और लौटने के बाद ट्रेन, बस से जम्मू में पहुंचने के बाद कश्मीर पहुंचे। पासपोर्ट को इमीग्रेशन कार्यालयों के जरिए किया स्कैनविदेशों की ट्रैवल हिस्ट्री वाले लोगों को पहचान के लिए तत्काल से योजना बनाई गई। पासपोर्ट को इमीग्रेशन कार्यालयों के जरिए स्कैन किया गया। पुलिस टीमें उन लोगों के घरों में पहुंची। पता लगाकर उनको निगरानी सेंटरों में ले जाया गया। निगरानी में रखे गए लोगों में से 139 ऐसे भी थे जो या तो तब्दीगी जमात के मुख्यालय गए थे या ऐसे लोगों के संपर्क में थे।